Solution for Class 10 Science Chapter 13 Magnetic effect of electric current विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

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अध्याय में दिए गए प्रश्न

पेज नंबर  250

प्रश्न 1.चुंबक के निकट लाने पर दिक्सूचक की सुई विक्षेपित क्यों हो जाती है?
उत्तर चुम्बक के निकट लाने पर, चुम्बक के चुम्बकीय क्षेत्र के कारण दिक्सूचक सुई पर एक बल-युग्म लगता है जो सुई को विक्षेपित कर देता है। 

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प्रश्न 1. किसी छड़ चुम्बक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ खींचिए।

प्रश्न 2 . चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के गुणों की सूची बनाइए ।

 उत्तर : चुम्बकीय बल रेखाओं के गुण- चुम्बकीय बल रेखाओं के प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं-

(1) चुम्बक के बाहर इन बल-रेखाओ की दिशा उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की ओर तथा चुम्बक के अन्दर दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर होती है। इस प्रकार ये बन्द वक्र के रूप में होती हैं। 

(2) चुम्बकीय बल रेखा के किसी बिन्दु पर खींची गई स्पर्श रेखा उस बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करती है।

(3) चुम्बकीय बल रेखाएँ एक-दूसरे को कभी नहीं काटती, क्योंकि एक बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दो दिशाएं सम्भव नहीं हैं। 

(4) किसी स्थान पर चुम्बकीय बल रेखाओं की सघनता उस स्थान पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता के होती हैं।

(5) एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र की चुम्बकीय बल रेखाएं, परस्पर समान्तर एवं बराबर-बराबर दूरियों पर होती हैं।

प्रश्न 3 . दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद क्यों नहीं करतीं? 

उत्तर : यदि दो चुम्बकीय बल रेखाएँ परस्पर काटेगी तो  उस बिंदु पर दिक्सूचक को रखने पर उसकी सूई दो दिशाओं की ओर संकेत करेगी।  इससे यह प्रदर्शित होगा कि उस बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दो दिशाएँ हैं जो कि असम्भव है। 

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प्रश्न 1 . मेज के तल में पड़े तार के वृत्ताकार पाश पर विचार कीजिए। मान लीजिए इस पाश में दक्षिणावर्त विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम को लागू करके पाश के भीतर तथा बाहर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात कीजिए।

उत्तर : दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम के अनुसार यदि चालक तार पर  अँगूठा विद्युत धारा की दिशा की ओर संकेत करता है, जबकि अँगुलियाँ चालक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा को प्रदर्शित करती हैं । अतः वृत्ताकार पाश (लूप) के अंदर चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा कागज़ के तल (मेज़ के तल) के लंबवत् अंदर की ओर होगी तथा पाश के बाहर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा पाश (मेज़) के तल के लबंवत् ऊपर की ओर होगी।

प्रश्न 2. किसी दिए गए क्षेत्र में चुंबकीय क्षेत्र एक समान हैं। इसे निरूपित करने के लिए आरेख खींचिए।

उत्तर :एक समान चुंबकीय क्षेत्र परस्पर समान्तर   चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। 


प्रश्न 3. सही विकल्प चुनिए

किसी विद्युत धारावाही सीधी लंबी परिनालिका के भीतर चुंबकीय क्षेत्र-
(a) शून्य होता है।
(b) इसके सिरे की ओर जाने पर घटता है।
(c) इसके सिरे की ओर जाने पर बढ़ता है।
(d) सभी बिंदुओं पर समान होता है।
उत्तर :(d) सभी बिंदुओं पर समान होता है।

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प्रश्न 1.किसी प्रोटॉन का निम्नलिखित में से कौन-सा गुण किसी चुंबकीय क्षेत्र में मुक्त गति करते समय परिवर्तित हो जाता है? (यहाँ एक से अधिक सही उत्तर हो सकते हैं।)
(a) द्रव्यमान
(b) चाल
(c) वेग
(d) संवेग
उत्तर
(c) वेग तथा (d) संवेग 

प्रश्न 2.क्रियाकलाप 13.7 में हमारे विचार से छड़ AB का विस्थापन किस प्रकार प्रभावित होगा यदि -
(i) छड़ AB में प्रवाहित विद्युत धारा में वृद्धि हो जाए।
(ii) अधिक प्रबल नाल चुंबक प्रयोग किया जाए और
(iii) छड़ AB की लंबाई में वृद्धि कर दी जाए?
उत्तर :(i) छड़ का विस्थापन बढ़ जाएगा; क्योंकि इस पर कार्यरत बल प्रवाहित विद्युत धारा के अनुक्रमानुपाती होता है। 

(ii) छड़ का विस्थापन बढ़ जाएगा; क्योंकि इस पर कार्यरत बल चुम्बकीय क्षेत्र के अनुक्रमानुपाती  होता है।

(iii) छड़ का विस्थापन बढ़ जाएगा; क्योंकि इस पर कार्यरत बल छड़ की लम्बाई के अनुक्रमानुपाती होता है। 

अतः प्रत्येक स्थिति में छड़ AB का विस्थापन बढ़ेगा।

प्रश्न 10. पश्चिम की ओर प्रक्षेपित कोई धनावेशित कण (ऐल्फा कण) किसी चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा की ओर विक्षेपित हो जाता है। चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा क्या है?

(a) दक्षिण की ओर  (b) पूर्व की ओर  (c) अधोमुखी    (d) उपरिमुखी।

उत्तर : (d) उपरिमुखी।

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प्रश्न 1. फ्लेमिंग का वामहस्त नियम लिखिए।

उत्तर : फ्लेमिंग के का वामहस्त नियमानुसार यदि हम अपने बाएँ हाथ की तर्जनी, मध्यमा और अँगूठे को इस प्रकार फैलाएँ कि ये तीनों एक-दूसरे के परस्पर लंबवत् हों तब यदि  तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा और मध्यमा चालक में प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा प्रदर्शित करें तो अँगूठा चालक पर आरोपित बल की दिशा की ओर संकेत करेगा।

प्रश्न 2. विद्युत मोटर का क्या सिद्धांत है?
उत्तर : जब एक धारावाही कुण्डली  को किसी चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है, तो उस कुण्डली  पर एक यांत्रिक बलयुग्म कार्य करने लगता है। है, जो कुण्डली को उसकी अक्ष पर घुमाने का प्रयास करता है। यदि कुण्डली अपनी अक्ष पर घूमने के लिए स्वतन्त्र हो तो  वह घूमने लगती है। 

प्रश्न 3.विद्युत मोटर में विभक्त वलय की क्या भूमिका है?
उत्तर : विद्युत मोटर में विभक्त वलय दिक्परिवर्तक का कार्य करता है। यह एक ऐसी युक्ति है जो धारा के प्रवाह की दिशा उत्क्रमित कर देती है। 
 जब कुण्डली आधा चक्कर पूर्ण कर लेती है तो विभक्त वलयों का ब्रुशों से सम्पर्क समाप्त हो जाता है और विपरीत ब्रुशों से सम्पर्क जाता है। इसके फलस्वरूप कुण्डली में धारा की दिशा सदैव इस प्रकार बनी रहती है कि कुण्डली एक ही दिशा में घूमती रहे।

 पेज नंबर 264

प्रश्न 1. किसी कुण्डली में विद्युत धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग निम्नलिखित हैं-

  1. किसी स्थिर कुंडली के पास या उससे दूर चुंबक ले जाकर।
  2. कुंडली को किसी स्थिर चुंबक के पास  या उससे दूर ले जाकर।
  3. एक कुंडली के समीप रखी किसी दूसरी कुंडली में  प्रवाहित विद्युत धारा में परिवर्तन करके पहली कुंडली में धारा प्रेरित की जा सकती है।
  4. कुंडली के फेरों की संख्या में वृद्धि करके

 पेज नंबर  265-266 

प्रश्न 1. विद्युत जनित्र का सिद्धांत लिखिए।
उत्तर : विद्युत जनित्र का सिद्धान्त-जब किसी बन्द कुण्डली को किसी शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र में तेजी से घुमाया जाता है तो उसमें से होकर गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स में लगातार परिवर्तन होता रहता है, जिसके कारण कुण्डली में एक विद्युत धारा प्रेरित हो जाती है। 

प्रश्न 2 . दिष्ट धारा के कुछ स्रोतों के नाम लिखिए। 

उत्तर : (1) विद्युत सेल या बैटरी तथा (2) दिष्ट धारा जनित्र

प्रश्न 3.प्रत्यावर्ती विद्युत धारा उत्पन्न करने वाले स्रोतों के नाम लिखिए।

उत्तर : प्रत्यावर्ती विद्युत धारा उत्पन्न करने वाले स्रोत हैं-प्रत्यावर्ती विद्युत धारा जनित्र (ac जनित्र) तथा बैट्री आधारित उत्क्रमक (इनवर्टर)।

प्रश्न 4. सही विकल्प का चयन कीजिए-
ताँबे के तार की एक आयताकार कुंडली किसी चुंबकीय क्षेत्र में घूर्णी गति कर रही है। इस कुंडली में प्रेरित विद्युत धारा की दिशा में कितने परिभ्रमण के पश्चात् परिवर्तन होता है?

(a) दो।
(b) एक
(c) आधे
(d) चौथाई
उत्तर
(c) आधे

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प्रश्न 1. विद्युत परिपथों तथा साधित्रों में सामान्यतः उपयोग होने वाले दो सुरक्षा उपायों के नाम लिखिए।
उत्तर : विद्युत परिपथों तथा साधित्रों में सामान्यत: उपयोग होने वाले दो सुरक्षा उपाय निम्न हैं-

  1. विद्युत फ्यूज़
  2. भू-सम्पर्क तार (earthing wire) का उपयोग

प्रश्न 2. 2kW शक्ति अनुमतांक की विद्युत तंदूर किसी घरेलू विद्युत परिपथ (220V) में प्रचालित किया जाता है, जिसका विद्युत अनुमतांक 5A है। इससे आप किस परिणाम की अपेक्षा करते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर दिया है-

भट्टी की शक्ति P = 2kW = 2000 W 

 V = 220V

∵ P= V X I

∴ I = P/ V

I=2000 /  220 

    = 9.09A

अर्थात् विद्युत भट्टी लाइन से 9.09A की धारा लेगी जो कि फ्यूज की क्षमता से अधिक है; अत: फ्यूज का तार गर्म हो जाएगा तथा अतिभारण (overloading) के कारण फ्यूज का तार पिघल जाएगा ।

प्रश्न 3. घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
उत्तर :घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए हमें निम्नलिखित सावधानियाँ बरतनी चाहिए-उचित धारा अनुमतांक वाले पृथक-पृथक फ्यूज़ लगवाने चाहिए।उत्तम गुणवत्ता वाले तार का उपयोग करना चाहिए।

अभ्यास में दिए गए प्रश्न

प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन किसी लंबे विद्युत धारावाही तार के निकट चुंबकीय क्षेत्र का सही वर्णन करता है?

(a) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के लंबवत होती हैं।

(b) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के समांतर होती हैं।

(c) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ अरीय होती हैं जिनका उद्भव तार से होता है।

(d) चुंबकीय क्षेत्र की संकेंद्री क्षेत्र रेखाओं का केंद्र तार होता है।

उत्तर: (d) चुंबकीय क्षेत्र की संकेंद्री क्षेत्र रेखाओं का केंद्र तार होता है।


प्रश्न 2. विद्युत चुंबकीय प्रेरण की परिघटना-

(a) किसी वस्तु को आवेशित करने की प्रक्रिया है।

(b) किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रवाहित होने के कारण चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने की प्रक्रिया है।

(c) कुंडली तथा चुंबक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुंडली में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करना है।

(d) किसी विद्युत मोटर की कुंडली को घूर्णन कराने की प्रक्रिया है।

उत्तर: (c) कुंडली तथा चुंबक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुंडली में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करना है।


प्रश्न 3. विद्युत धारा उत्पन्न करने की युक्ति को कहते हैं-

(a) जनित्र

(b) गैल्वेनोमीटर

(c) ऐमीटर

(d) मोटर

उत्तर: (a) जनित्र


प्रश्न 4. किसी ac जनित्र तथा dc जनित्र में एक मूलभूत अंतर यह है कि-

(a) ac जनित्र में विद्युत चुंबक होता है जबकि dc मोटर में स्थायी चुंबक होता है।

(b) dc जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।

(c) ac जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।

(d) ac जनित्र में सर्पी वलय होते हैं जबकि dc जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है।

उत्तर: (d) ac जनित्र में सर्पी वलय होते हैं जबकि dc जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है।


प्रश्न 5. लघुपथन के समय परिपथ में विद्युत धारा का मान-

(a) बहुत कम हो जाता है।

(b) परिवर्तित नहीं होता।

(c) बहुत अधिक बढ़ जाती है।

(d) निरंतर परिवर्तित होता है।

उत्तर: (c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।


प्रश्न  6. निम्नलिखित प्रकथनों में कौन सत्य है तथा कौन असत्य? इसे प्रकथन के सामने अंकित कीजिए-

(a) विद्युत मोटर यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करता है।

उत्तर: असत्य

(b) विद्युत जनित्र विद्युत चुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है।

उत्तर: सत्य

(c) किसी लंबी वृत्ताकार विद्युत धारावाही कुंडली के केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र समांतर सीधी क्षेत्र रेखाएँ होती हैं।

उत्तर: सत्य

(d) हरे विद्युतरोधन वाला तार प्रायः विद्युन्मय तार होता है।

उत्तर: असत्य


प्रश्न 7. चुंबकीय क्षेत्र को उत्पन्न करने के दो तरीकों की सूची बनाइए।

उत्तर: चुंबकीय क्षेत्र को उत्पन्न करने के दो तरीके निम्न हैं-

  1. किसी चुंबक द्वारा; जैसे- छड़ चुंबक, नाल चुंबक आदि।

  2. किसी विद्युत धारावाही सीधे चालक तार द्वारा; विद्युत धारावाही पाश (लूप) द्वारा इत्यादि।


प्रश्न 8. परिनालिका चुंबक की भाँति कैसे व्यवहार करती है? क्या आप किसी छड़ चुंबक की सहायता से किसी विद्युत धारावाही परिनालिका के उत्तर ध्रुव तथा दक्षिण ध्रुव का निर्धारण कर सकते हैं?

उत्तर: पास-पास लिपटे विद्युतरोधी ताँबे के तार की बेलन की आकृति की अनेक फेरों वाली कुंडली को परिनालिका कहते हैं। जब इस परिनालिका से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो इसमें छड़ चुंबक की तरह ही चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं का पैटर्न बनता है, जिसका एक सिरा N ध्रुव तथा दूसरा सिरा S ध्रुव की भाँति व्यवहार करता है। परिनालिका के अंदर क्षेत्र रेखाएँ समांतर सरल रेखाओं की भाँति होती हैं, जो यह दर्शाता है कि परिनालिका के भीतर एक समान चुंबकीय क्षेत्र है।

हाँ, हम किसी विद्युत धारावाही परिनालिका के उत्तर ध्रुव तथा दक्षिण ध्रुव का निर्धारण छड़ चुंबक की सहायता से कर सकते हैं। इसके लिए किसी ज्ञात N ध्रुव वाले छड़ चुंबक को परिनालिका के एक सिरे के समीप लाते हैं। यदि प्रतिकर्षण हुआ तो सिरा N-ध्रुव तथा आकर्षण होने पर S-ध्रुव होगा। इसी प्रकार, परिनालिका के दूसरे सिरे के ध्रुव भी ज्ञात किए जा सकते हैं, क्योंकि समान ध्रुवों के बीच प्रतिकर्षण तथा असमान ध्रुवों के बीच आकर्षण होता है।


प्रश्न 9. किसी चुंबकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत धारावाही चालक पर आरोपित बल कब अधिकतम होता है?

उत्तर: फ्लेमिंग के वामहस्त नियम द्वारा किसी चुंबकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत धारावाही चालक पर आरोपित बल अधिकतम होता है, जब चालक को चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत् रखा जाए। अर्थात विद्युत धारा की दिशा तथा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा परस्पर लंबवत् हो।


प्रश्न 10. मान लीजिए आप किसी चैम्बर में अपनी पीठ को किसी एक दीवार से लगाकर बैठे हैं। कोई इलेक्ट्रॉन पुंज आपके पीछे की दीवार से सामने वाली दीवार की ओर क्षैतिजतः गमन करते हुए किसी प्रबल चुंबकीय क्षेत्र द्वारा आपके दाई ओर विक्षेपित हो जाता है। चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या है?

उत्तर: स्पष्टत: फ्लेमिंग के वामहस्त नियम द्वारा, चुंबकीय क्षेत्र की दिशा उर्ध्वाधरत: नीचे होगी।


प्रश्न 11. विद्युत मोटर का नामांकित आरेख खींचिए। इसका सिद्धांत तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। विद्युत मोटर में विभक्त वलय का क्या महत्व है?

उत्तर: विद्युत मोटर का आरेख आकृति में दर्शाया गया है:


सिद्धांत- किसी धारावाही चालक को किसी चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत् दिशा में रखने पर वह चालक यांत्रिक बल का अनुभव करता है। इस बल के कारण चालक बल की दिशा में घूर्णन करता है। विद्युत धारावाही चालक पर आरोपित बल की दिशा फ्लेमिंग के वामहस्त नियम से ज्ञात करते हैं।


कार्यविधि भुजा AB में विद्युत धारा A से B की ओर तथा भुजा CD में C से D की ओर प्रवाहित होती है। अतः धारा की दिशाएँ इन भुजाओं में परस्पर विपरीत होती हैं, इसलिए फ्लेमिंग के वामहस्त नियम द्वारा AB आरोपित बल उसे अधोमुखी धकेलता है जबकि भुजा CD पर आरोपित बल उपरिमुखी धकेलता है। अतः इस बल युग्म के कारण कुंडली तथा धुरी अक्ष पर वामावर्त घूर्णन करते हैं।

विभक्त वलय का कार्य-विद्युत मोटर में विभक्त वलय दिक्परिवर्तक का कार्य करता है। चित्रानुसार विभक्त वलय P तथा Q का संपर्क क्रमशः ब्रुश X तथा Y से है, परंतु आधे घूर्णन के बाद Q का संपर्क ब्रुश X से होता है तथा P का संपर्क Y से होता है, जिसके फलस्वरूप कुंडली में धारा उत्क्रमित होकर पथ DCBA के अनुदिश प्रवाहित होती है। फ्लेमिंग के नियम से अब भुजा AB पर उपरिमुखी तथा भुजा CD पर अधोमुखी बल लगता है, जिसके कारण कुंडली तथा धुरी उसी दिशा में अब आधा घूर्णन और पूरा कर लेती हैं। अतः प्रत्येक आधे घूर्णन के बाद धारा के उत्क्रमित होने का क्रम दोहराता रहता है, जिसके कारण कुंडली तथा धुरी निरंतर घूर्णन करते रहते हैं।


प्रश्न 12. ऐसी कुछ युक्तियों के नाम लिखिए जिनमें विद्युत मोटर उपयोग किए जाते हैं।

उत्तर: विद्युत मोटर एक ऐसी युक्ति है, जिसमें विद्युत ऊर्जा का यांत्रिक ऊर्जा में रूपांतरण होता है। इसके कुछ उदाहरण निम्न हैं- विद्युत पंखे, ए०सी०, वॉशिंग मशीन, मिक्सर ग्राइंडर, कूलर, कंप्यूटर, जल पंप, गेहूँ पीसने वाली चक्की इत्यादि।


प्रश्न 13. कोई विद्युत रोधी ताँबे के तार की कुंडली किसी गैल्वेनोमीटर से संयोजित है। क्या होगा यदि कोई छड़ चुंबक-

(i) कुंडली में धकेला जाता है।

उत्तर: कुंडली में एक प्रेरित धारा उत्पन्न होती है, जिसके कारण गैल्वेनोमीटर में विक्षेप होता है।

(ii) कुंडली के भीतर से बाहर खींचा जाता है।

उत्तर: प्रेरित धारा उत्पन्न होगी और गैल्वेनोमीटर में विक्षेप प्रदर्शित होगा, परंतु विक्षेप की दिशा पहले के विपरीत होगी।

(iii) कुंडली के भीतर स्थिर रखा जाता है।

उत्तर: चूंकि चुंबक स्थिर है इसलिए कोई प्रेरित धारा उत्पन्न नहीं होगी। अतः गैल्वेनोमीटर में कोई विक्षेप नहीं होता है।


प्रश्न 14. दो वृत्ताकार कुंडली A तथा B एक-दूसरे के निकट स्थित हैं। यदि कुंडली A में विद्युत धारा में कोई परिवर्तन करें तो क्या कुंडली B में कोई विद्युत धारा प्रेरित होगी? कारण लिखिए।

उत्तर: हाँ, कुंडली B में विद्युत धारी प्रेरित होगी।

जब कुंडली A में प्रवाहित विद्युत धारा में परिवर्तन होता है, तो इसके चुंबकीय क्षेत्र में भी परिवर्तन होता है। चूंकि कुंडली B, कुंडली A के निकट है इसलिए कुंडली B के चारों ओर भी चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं में परिवर्तन होता है, जिसके कारण कुंडली B में प्रेरित धारा उत्पन्न होती है।

प्रश्न 15. निम्नलिखित की दिशा को निर्धारित करने वाला नियम लिखिए-

(i) किसी विद्युत धारावाही सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र।

(ii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में, क्षेत्र के लंबवत् स्थित, विद्युत धारावाही सीधे चालक पर आरोपित बल।

(iii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में किसी कुंडली के घूर्णन करने पर उस कुंडली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत धारा।

उत्तर: (i) किसी विद्युत धारावाही सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र- किसी विद्युत धारावाही सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की दिशा निर्धारित करने के लिए “दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम” का प्रयोग किया जाता है, जो इस प्रकार है- किसी विद्युत धारावाही चालक को अपने दाहिने हाथ से पकड़ने पर अँगूठा विद्युत धारा की दिशा को संकेत करता है तथा उँगलियाँ चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाओं की दिशा में लिपटी होंगी। इसे मैक्सवेल का कार्कस्कू नियम भी कहते हैं।

(ii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में, क्षेत्र के लंबवत् स्थित, विद्युत धारावाही सीधे चालक पर आरोपित बल।

उत्तर: किसी चुंबकीय क्षेत्र में, क्षेत्र के लंबवत् स्थित, विद्युत धारावाही सीधे चालक पर आरोपित बल की दिशा ‘‘फ्लेमिंग के वामहस्त नियम” द्वारा ज्ञात करते हैं, फ्लेमिंग के वामहस्त नियम द्वारा किसी चुंबकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत धारावाही चालक पर आरोपित बल अधिकतम होता है, जब चालक को चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत् रखा जाए। अर्थात् विद्युत धारा की दिशा तथा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा परस्पर लंबवत् हो।

(iii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में किसी कुंडली के घूर्णन करने पर उस कुंडली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत धारा।

उत्तर: चुंबकीय क्षेत्र में गतिशील चालक में उत्पन्न प्रेरित धारा की दिशा ज्ञात करने के लिए फ्लेमिंग के दक्षिण-हस्त के नियम का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 16. नामांकित आरेख खींचकर किसी विद्युत जनित्र का मूल सिद्धांत तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। इनमें ब्रुश का क्या कार्य है?

उत्तर: विद्युत जनित्र का नामांकित आरेख-




मूल सिद्धांत-  विद्युत जनित्र मूलत: विद्युत-चुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है। विद्युत जनित्र में यांत्रिक ऊर्जा का उपयोग चुंबकीय क्षेत्र में रखे किसी चालक को घूर्णी गति प्रदान करने में किया जाता है जिसके कारण प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न होती है, जिसकी दिशा फ्लेमिंग के दक्षिण-हस्त वलय नियम द्वारा ज्ञात की जाती है।

कार्यविधि-  मान लीजिए कि प्रारंभिक अवस्था में एक कुंडली ABCD चुंबक के ध्रुवों के बीच उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र में दक्षिणावर्त घुमायी जाती है। भुजा AB ऊपर की ओर तथा भुजा CD नीचे। की ओर गति करती है। फ्लेमिंग का दक्षिण-हस्त नियम लागू करने पर कुंडली में AB तथा CD दिशाओं के अनुदिश प्रेरित विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती हैं। बाह्य परिपथ में B2 से B1 की दिशा में विद्युत धारा प्रवाहित होती है।

अब आधे घूर्णन के बाद CD ऊपर की ओर तथा AB नीचे की ओर जाने लगती है। स्पष्टतः कुंडली के अंदर प्रेरित विद्युत धारा की दिशा बदलकर DCBA के अनुदिश हो जाती है और बाह्य परिपथ में B1 से B2 की दिशा में प्रवाहित होती है। इस तरह हम देखते हैं कि प्रत्येक आधे घूर्णन के बाद विद्युत धारा की दिशा बदल जाती है।

ब्रुश के कार्य- ब्रुश B1 और B2 वलयों R1 तथा R2 पर दबाकर रखा जाता है, जो कुंडली में प्रेरित धारा को बाह्य परिपथ में पहुँचाने में सहायक होते हैं।

प्रश्न 17. किसी विद्युत परिपथ में लघुपथन कब होता है?

उत्तर: जब विद्युन्मय तार (धनात्मक तार) तथा उदासीन तार (ऋणात्मक तार) सीधे संपर्क में आ जाते हैं, तब विद्युत परिपथ में अकस्मात् बहुत अधिक विद्युत धारा हो जाती है और लघुपथन हो जाता है। ऐसा तब होता है जब तारों के विद्युतरोधी आवरण क्षतिग्रस्त हो जाए या साधित्र में कोई दोष हो।

प्रश्न 18. भूसंपर्क तार का क्या कार्य है? धातु के आवरण वाले विद्युत साधित्रों को भूसम्पर्कित करना क्यों आवश्यक है?

उत्तर: भूसंपर्क तार किसी विद्युत परिपथ में सुरक्षा उपाय के रूप में प्रयुक्त होते हैं। खासकर उन साधित्रों में जिनका आवरण धात्विक होता है; जैसे- विद्युत इस्त्री, टोस्टर, मेज़ का पंखा, रेफ्रिजरेटर, कूलर, गीजर आदि। धातु के आवरणों से संयोजित भूसंपर्क तार विद्युत धारा के लिए अल्प प्रतिरोध का चालन पथ प्रस्तुत करता है। इससे यह सुनिश्चित हो जाता है कि साधित्र के धात्विक आवरण में विद्युत धारा का कोई क्षरण होने पर उस साधित्र का विभेव भूमि के विभव के बराबर हो जाएगा। फलस्वरूप इस साधित्र को उपयोग करने वाला व्यक्ति तीव्र विद्युत आघात से सुरक्षित बचा रहता है।